All update news about corona virus in hindi?जनता कर्फ़्यू के पीछे लॉजिक(कोरोना वायरस के बारे में जानकारी। why 22 मार्च पब्लिक courfue)




प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में 21 दिन के लॉकडाउन का एलान किया है। इस घोषणा के बाद से ही लोग अपनी जरूरतों का सामान लेने के लिए बाहर निकल रहे हैं। रात में ही कई जगहों पर लोगों की भीड़ देखी गई। वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद एक एडवाइजरी जारी की गई। इसमें कहा गया है कि जरूरी चीजें लोगों के घर तक पहुंचेंगी। इसलिए बाहर ना निकलें। आइए जानते हैं क्या कहा गया है एडवाइजरी में....एडवाइजरी में जिला प्रशासन को प्रधानमंत्री की सलाह
प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद एक एडवाइजरी जारी की गई है इसके मुताबिक उन्होंने जिला प्रशासन को सलाह दी है कि राशन, किराने, फल और सब्जियों, डेयरी उत्पादों और पशु चारे आदि इस तरह की सभी दुकानों से घरों तक होम डिलीवरी को बढ़ावा दें.

भले आज भारत लॉक डाउन है, पर चीन के सभी शहर खुले हुए है और तो और 8 अप्रैल से चीन वुहान को भी खोलने की घोषणा कर चूका है, चीन में एक भी नेता को, एक भी मिलिट्री लीडर को, 1 भी बड़े आदमी को कोरोना नहीं हुआ है
कोरोना वायरस ने दुनिया भर में इकॉनमी को बर्बाद कर दिया है, हजारों की जान जा चुकी है, लाखों को ये बीमारी हो चुकी है और अनगिनत लोग घरों में बंद कर दिए गए है, कई देशों में लॉक डाउन हो चूका है जिसमे भारत भी एक है
कोरोना वायरस चीन के वुहान शहर से निकला है, और अब ये दुनिया के कोने कोने में पहुँच चूका है, पर ये वायरस वुहान के ही पास चीन की राजधानी बीजिंग और आर्थिक राजधानी शंघाई तक नहीं पहुंचा
आज पेरिस बंद है, न्यू यॉर्क बंद है, बर्लिन बंद है, रोम बंद है, दिल्ली बंद है, मुंबई बंद है, टोक्यो बंद है, दुनिया के प्रमुख आर्थिक और राजनतिक केंद्र बंद है पर बीजिंग और शंघाई खुले हुए है, वहां कोरोना ने कोई असर ही नहीं दिखाया, गिने चुने केस सामने आये पर एक तरह से बीजिंग और शंघाई पर कोरोना का कोई असर ही नहीं हुआ
बीजिंग वो शहर है जहाँ चीन के सभी नेता रहते है, यहाँ मिलिट्री लीडर रहते है, चीन की सत्ता को चलाने वाले यहाँ रहते है, बीजिंग में कोई लॉक डाउन नहीं है ये खुला हुआ है यहाँ कोरोना का कोई असर नहीं
शंघाई वो शहर है जो चीन की इकॉनमी को चलाता है, ये चीन की आर्थिक राजधानी है, यहाँ चीन के सभी अमीर लोग रहते है, इंडस्ट्री को चलाने वाले रहते है, यहाँ भी कोई लॉक डाउन नहीं, यहाँ कोरोना का कोई असर नहीं
क्या कोरोना एक पाला हुआ वायरस है जिसे बता दिया गया है की तुम्हे दुनिया भर में आतंक मचाना है पर तुम बीजिंग और शंघाई नहीं आओगे, चीन से ये सवाल पूछा जाना बहुत जरुरी है की जब दुनिया के बड़े बड़े विकसित देश कोरोना को नहीं रोक सके, दुनिया के बड़े बड़े शहरों में कोरोना ने आतंक मचा दिया तो ये विरुस्व बीजिंग क्यों नहीं पहुंचा, शंघाई क्यों नहीं पहुंचा
बीजिंग और शंघाई वुहान से लगे हुए इलाके ही है, वुहान से निकला वायरस दुनिया के कोने कोने में पहुँच गया पर ये वायरस और शंघाई नहीं पहुंचा
आज पूरा भारत और 130 करोड़ भारतीय भले लॉक डाउन हो चुके है, हमारी इकॉनमी ठप्प हो रही है पर छेने के सभी प्रमुख शहर खुले हुए है और तो और कब 8 अप्रैल से चीन वुहान को भी खोल रहा है, पूरी दुनिया आतंक से त्रस्त हो चुकी है पर चीन में अब नए केस भी सामने नहीं आ रहे है और चीन खुला हुआ है
एक और बड़ी चीज ये की दुनिया भर के शेयर मार्किट लगभग आधा गिर चुके है, भारत में भी निफ्टी 12 हज़ार से 7 हज़ार तक पहुँच गया है, पर चीन का शेयर मार्किट 3 हज़ार पे था जो 2700 पर ही है, चीन के मार्किट पर भी इस वायरस का कोई असर नहीं
ये जो भी चीजें है वो सिर्फ एक बात की ओर इशारा करती है की कोरोना चीन का बायो केमिकल हथियार है, जिसे चीन ने दुनिया भर में तबाही के लिए बनाकर छोड़ दिया है, अपने यहाँ कुछ लोगो को मरवा कर चीन ने अब इस वायरस पर कण्ट्रोल कर लिया है, कदाचित उसके पास दवाई भी है जो वो दुनिया से शेयर नहीं कर रहा है
दुनिया में बड़े बड़े लोगो को कोरोना हो चूका है, हॉलीवुड स्टार, ऑस्ट्रेलिया के गृह मंत्री, ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री, स्पेन के प्रधानमत्री की पत्नी और अब तो ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स को भी कोरोना हो चूका है, पर चीन में एक भी नेता, एक भी मिलिट्री कमांडर को कोरोना ने टच भी नहीं किया है आश्चर्यजनक ..?

कोरोना वायरस के बारे में जानकारी हिंदी में ।
#stay at home
कोरोना वायरस को लेकर ये रिसर्च चीन के वुहान और शेन्जेन शहर में किया गया. जिसमें पाया गया कि मरने वाले लोगों में जिन लोगों का A ब्लडग्रुप था उनकी संख्या ज्यादा है. साथ ही A ब्लडग्रुप के लोग की इस वायरस से ज्यादा संक्रमित हैं. रिसर्च में पाया गया कि जिन लोगों का O ब्लडग्रुप है उन लोगों की संख्या मरने वाले लोगों में कम है.
रिसर्च में पाया गया कि A ब्लडग्रुप के 38 फीसदी लोगो कोरोना से संक्रमित हैं. वहीं O ब्लडग्रुप के 26 फीसदी लोग ही इस से संक्रमित हैं. वुहान से कुछ दूर स्थित सेंटर फॉर एविडेंस-बेस्ड एंड ट्रांसलेशनल मेडिसिन में ये रिसर्च किया जा रहा है. रिसर्च में वायरस से मरने वाले 206 रोगियों की भी जांच की गई. जिनमें 85 पीड़ितों या 41.26 प्रतिशत लोगों का A ब्लडग्रुप था. वहीं सिर्फ 52 लोगों का O ब्लडग्रुप था. बता दें कि दुनिया में लगभग दो लाख कोरोना वायरस के मामले सामने आ चुके हैं।

*आवश्यक  सूचना यह है कि सरकार कभी खुल के खतरे के बारे में नहीं कहती है ताकि जनता में हंगामा न मचे, पर स्कूलों का बंद होना, ट्रेनों का रद्द होना, अंतरराष्ट्रीय उडानों को स्थगित किया जाना प्रमाण है कि स्थिति गंभीर है, तो अब बहुत हुआ हंसी मजाक या व्हाट्सएपिया ज्ञान...। *अब थोड़ा गंभीर हो जाइये..। तुरंत सेनेटाइजर और हैंडवॉश खरीदें, सेनेटाइजर जेब/पर्स में लेके चले और हैंडवॉश+एक बाल्टी पानी घर के दरवाजे पर रखें, भीड़ वाली जगह जाने से बचें,लोगों से थोड़ी दूरी बना कर बात करें और शारीरिक संपर्क न बनाएँ। लहसुन, प्याज के चक्कर में न रहे, दुनिया के किसी देश के पास इसका इलाज नहीं है और कम से कम 6 माह तक होगा भी नहीं, आपकी जागरूकता और सावधानी ही अभी एक मात्र उपाय है फॉरवर्ड करें न करें पर स्वंय पढ़ कर अपने विवेक का इस्तेमाल करें कि मैसेज अन्य ग्रुप में भेजना है या स्वयं पालन करना है या दोनों। यह आप पर निर्भर करता है।

जो लोग #कोरोना को मज़ाक में ले रहे हैं, वो ये जान लें कि #सेनिटाइज़ेशन में इटली हमसे 100 साल आगे है और अमेरिका 150 साल आगे !
फ़िर भी इटली में 2158 और अमेरिका में 30 से अधिक लोगों की #मौत हो चुकी है....
शुक्र है, कि अभी भारत में ये वायरस सिर्फ रिच ओर अल्ट्रा रिच क्लास में है... खुदा न खस्ता ये लोवर क्लास ओर मिडल क्लास में घुस गया तो मंज़र भयावह होगा।
मत भूलिए कि हमारे यहां साधारण डेंगू भी #महामारी बन जाता है क्योंकि सिस्टम ही खराब है... और सिर्फ़ सिस्टम को ही क्यों दोष देना हम ख़ुद भी कहां अपनी ज़िम्मेदारी निभाते हैं!!
जबकि बचाव के लिए #सफाई के सिवा और कुछ चारा नहीं है, लिहाज़ा #सावधानी बरतें।।
क्या आपको इस से ऐसा देखने और सुनने को मिला है कि देश के देश lock down हो गये हो
एक बात हमेशा याद रखना सरकारें कभी ख़तरे के बारे मै खुलकर नही बताती ताकि अफ़रातफ़री या डर का माहोल न बने पर इंतज़ाम देखकर अंदाज़ा लगा लेना चाहिए कि ख़तरा कितना बड़ा है !
सभी लोगों से विनती है कि सभी अपने अपने स्तर पर सम्पूर्ण सावधानी बरतें।

*जनता कर्फ़्यू के पीछे लॉजिक*
#stay at home
 एक स्थान पर कारोना वायरस का जीवन 12 घंटे और जनता कर्फ्यू 14 घंटे के लिए होता है, इसलिए सार्वजनिक क्षेत्रों के स्थान या बिंदु जहां कारोना बच सकता है, उसे 14 घंटे तक नहीं छुआ जाएगा और इससे श्रृंखला टूट जाएगी।
14 घंटे के बाद हमें जो मिलेगा वह एक सुरक्षित देश होगा।

*जनता कर्फ्यू* सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक #stay at home
*22 मार्च 2020 रविवार को घर से बाहर ना निकले...*
*कोराना वायरस महामारी रोकने को हम तैयार*
रोज 10 नये लोग को इसकी सूचना दे
कोरोना बहुत ही स्वाभिमानी और आत्मसम्मान से भरा हुआ वायरस है
वो तब तक आपके घर नहीं आएगा जब तक आप उसे लेने  खुद बाहर नहीं निकलते
घर पर ही  रहे  उस लेने न जाए

कोरोना वायरस से बचने का सबसे महत्वपूर्ण उपाय:
#stay at home
१. थेथरई न करें। घर में चुपेचाप बैठिये। थेथर लोग के लिए सरकार अलग से टास्क फ़ोर्स तैयार कर देगी तब ले लोटा बउआते रहिएगा।
२. लबर-लबर करके सामान नहीं ख़रीदिए। दुकान भागल नहीं जा रहा है।
३. बढ़िया से हाथ पैर धोके बिस्तर में लुकाये रहिए।
४. मन नहीं लगे त घर के भीतरे से जोगिरा गाके सब लोगिन को मनोरंजन कराते रहिए।
उससे का है कि मनोबल बना रहता है
५. बिना मतलब का दवाई लिखवाने हॉस्पिटल जाने का कौनो ज़रूरत नहीं है।
६. घर के छोटका बाल बूतरू और बूढ़ पुरनिया सब को घरे में हाथ गोर बाँध दीजिए।
७. भोरे खरिहान जाना है त अकेले जाइए।
८. दोस्त यार संगे पंघत खाने कौनो नहीं जाएगा।
९. बाक़ी टेन्शन का कोई बात नहीं है। कुछ दिन अकेले खैनी रगड़िए अकेले खाइए।
१०. कोरोना झड़वाने भगता के पास नहीं जाइए; भगत जी अपना कोरोना हॉस्पिटल में झड़वा रहे हैं।
११. घरे में से भगवान जी को गोर लाग लीजिए काहे कि भगवान जी भी मंदिर में गेट बंद करके लुका गए हैं।
बाक़ी अप्डेट करते रहेंगे। बने रहिए।
Its not
#CURFEW
its :
#CARE for FEW days😷

#coronavirus #technologyfriends
#stay at home
*We all support Public Curfew*
#stay at home
सैनिटाइजर लगाकर रसोई में गैस या किसी भी आग / ज्वलनशील पदार्थ के पास मत जाओ या पहले पानी से हाथ अच्छी तरह से धो लो।
सैनिटाइजर में एल्कोहल होता है और एकदम आग पकड़ता है।
सैनिटाइजर लगाकर सिगरेट आदि भी मत जलाओ - खतरा हो सकता है
आज किसी घर मे हादसा हो गया और महिला के साथ परिवार के और लोग भी जल गए

इस सन्देश को अधिक से अधिक जगह जल्द भेजो #stay at home


आइये हम सभी मोदी जी की अपील को क्रियान्वित करते हुए एक प्रण ले और रविवार दिनांक 22/03/2020 को प्रातः7 बजे से रात्रि 9 बजे तक जनता कर्फ्यू का पालन करते हुए अपने अपने घरो मे रहकर स्वयं को व दूसरों को भी कॅरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिये अपना योगदान दे #stay at home
चलो मैं बताता हूं..हमारे आदरणीय पीएम ने क्यों ताली बजाने को कहा
जरा जाने..
शाम 5 बजे जब 130 करोड़ नागरिक एक साथ
5 मिनट के लिए
"तालियां  ढोल नगाड़े ,थाली कटोरा,घंटी या एक ऐसी "SOUND FREQUENCY " पैदा होगी जिसे "CORONA VIRUS"  की मौत होना निश्चित है ।
यह विज्ञान  भी मानता है,
और हमारे शास्त्रों में इसका उल्लेख भी है ।
इस virus को मारने का यही एकमात्र इलाज भी है ।
हम भारतीय  पूरे विश्व के लिए  एक मिसाल कायम करेंगे ।
अब हम भारतीयों को अपने परिवार,अपने रिश्तेदार, अपने बच्चों, अपने करीबी दोस्तों , अपने समाज को बचाने के लिए अपना कर्तव्य, अपना फ़र्ज़ निभाना होगा । और शाम 5 बजे किसी भी हाल में "sound frequency" को पैदा करना ही एकमात्र विकल्प है ।
आज हमें एक भारतीय जवान की तरह अपनी ल।ड़ाई "corona virus"
से करने का मौका मिला है , आइए, साथ मिलकर इस पर जीत हासिल करे।
रविवार 22 मार्च को प्रातः 7 बजे से रात्रि 9 बजे तक जनता कर्फ्यू (घर से बाहर न निकले) #stay at home
शाम 5 बजे ताली,थाली,घंटी बजा कर जो भी इस आपदा में हमारी मदद कर रहे है, उनका आभार व्यक्त करें।
कम से कम 10 व्यक्तियों को इस बारे में सूचित करें।
प्रधानमंत्री जी का आव्हान।

भारत की तैयारियां घटा सकती हैं कोरोना के साल
कोरोना को लेकर भारत में हर लेवल पर बचाव कार्य चल रहे हैं। लेकिन फिर भी भारत स्वास्थ्य सेवाएं देने में पीछे है। देश में कोरोना जांचने के पर्याप्त साधन नहीं हैं और न ही हॉस्पिटल्स वार्ड। इतना ही नहीं आइसोलेशन (Isolation) के लिए जरूरी मशीनों के लिए भी भारत दूसरे देशों पर निर्भर है।

भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से क़रीब दस लाख किट और माँगी हैं। वहीँ, आईसीएमआर ने यह भी दावा किया है कि 23 मार्च तक भारत में दो ऐसे लैब तैयार हो जाएंगे जहाँ 1400 टेस्ट रोज़ हो सकेंगे। इसके अलावा प्राइवेट लैब में जांच की तैयारियां भी की जा रही हैं।

भारत में जितनी तेजी से मामले सामने आ रहे हैं सरकार को उतनी ही तेजी से फंड (Fund) की आने वाले समय में जरूरत पड़ सकती है। भारत पहले से ही आर्थिक रूप से खस्ता हालातों से गुजर रहा है और आगे अगर कोरोना के मामले बढ़े तो बड़ी मुसीबत आ सकती है। फिलहाल कोरोना के एक टेस्ट पर 3000 रुपये का ख़र्च आता है। पहले स्तर के लिए 1500 रुपये तक का ख़र्च आता है और ये खर्च अभी केंद्र सरकार ही उठा रही है।
#stay at home
वायरस से बचने के बहुत सारे उपाय है जिसे आप फॉलो कर सकते है:_

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घर में आसानी से उपलब्ध लहसुन को नियमित आधार पर सेवन करने से शरीर को संक्रमण से दूर रखने की क्षमता मिलती है। इसमें एलिसिन पाया जाता है जो वायरस से लड़ने और प्रतिरक्षा को बढ़ाने के काम में आता है। यह तब बनता है जब लहसुन की एक लौंग को कुचल कर चबाया जाता है काटा जाता है।

एलिसिन वही यौगिक है जो लहसुन को अपना विशिष्ट गंध देता है। आप लहसुन की दो लौंग ले सकते हैं और हर दिन गर्म पानी के साथ उसका सेवन कर सकते हैं या इसे अपने रोज के खाने का हिस्सा बना सकते हैं।
#stay at home
प्रोबायोटिक दही (योगर्ट)

योगर्ट इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण श्वसन संक्रमण के प्रभाव को कम किया जाता है। इसके अलावा, नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में प्रकाशित शोध के अनुसार, प्रोबायोटिक की खपत भी बच्चों में श्वसन पथ के संक्रमण की घटनाओं को कम करने के लिए महत्पूर्ण है। ये अलग-अलग फ्लेवर में मिलता है। सुबह इसे खाने का विकल्प चुना जा सकता है।

दालचीनी

खाना बनाने के लिए #stay at home इस्तेमाल होने वाला यह सुगंधित मसाला आपके पसंदीदा व्यंजनों में विदेशी स्वाद जोड़ने के अलावा बहुत कुछ कर सकता है। न्यूयॉर्क के टौरो कॉलेज द्वारा किए गए एक प्रारंभिक अध्ययन में पाया गया कि दालचीनी में एंटीवायरल गुण हो सकते हैं। अनुसंधान के इन निष्कर्षों के अनुसार, रक्तचाप को विनियमित करने की अपनी सिद्ध क्षमता के अलावा, दालचीनी भी वायरल संक्रमण से शरीर की रक्षा कर सकती है।

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आप बस एक दालचीनी की छड़ी को रात भर पानी में भिगो सकते हैं और अगली सुबह इसे पी सकते हैं। इसके अलावा दालचीनी का एक चुटकी अपने सुबह के कप चाय या कॉफी में डाल कर पी सकते हैं जिससे स्वाद और स्वास्थ्य लाभ दोनो मिलेगा।

मशरूम

शियाटेक मशरूम को बीटा-ग्लूकन के साथ पैक किया जाता है जिसे एंटीवायरल और जीवाणुरोधी यौगिक के रूप में जाना जाता है। वे न केवल आपकी इम्यून सिस्टम को बढ़ाने में मदद करते हैं बल्कि सूजन को कम करने के लिए भी काम आते हैं। आप मशरूम को पतला करके और नारियल के तेल में सॉस लगाकर हलका तल कर इसे खा सकते हैं।

मुलेठी

मुलेठी का इस्तेमाल पारंपरिक रूप से चीनी उपचार में उपयोग किया जाता है। इनफैक्ट, नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में प्रकाशित एक पेपर के अनुसार, मुलेठी की जड़ में पाए जाने वाले सक्रिय यौगिक, एंटीवायरल, रोगाणुरोधी, एंटीट्यूमोर और अन्य गतिविधियां जैसे कई औषधीय शामिल है।

मुलेठी का उपयोग इसके एंटीसिटिव और इसके गुणों के कारण इस्तेमाल किया जाता है। गले में खराश और खांसी के से राहत पाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। आप बस मुलेठी को पानी में उबाल सकते हैं या पानी में डुबा कर इसके पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आपको ठंड महसूस हो कहा है तो आप एक कप मुलेठी के पानी से बना चाय का उपयोग कर सकते हैं।

Update news by daily 

coronavirus: चीन से सवाल पूछने की बजाय उसकी तारीफ क्यों कर रहा है WHO? पढ़ें इनसाइड स्टोरी

नई दिल्ली: कोरोना वायरस से दुनियाभर में मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 59 हजार से ज्यादा हो गई है. पिछले साल दिसंबर में चीन में पहली बार सामने आई इस बीमारी ने अब महामारी का रूप ले लिया है. 190 देशों में अब तक कोविड-19 के 11 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए जा चुके हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस इतना खतरनाक नहीं होता. अगर चीन ने इस महामारी की जानकारी दुनिया से छिपाने की कोशिश नहीं की होती लेकिन चीन अकेले अपने दम पर ऐसा नहीं कर सकता था तो आखिर वो कौन है जिसने कोरोना वायरस की खबर को दबाने में चीन की मदद की.

वो कोई और नहीं बल्कि वही World Health Organisation यानी WHO है जिसपर इस महामारी के खिलाफ जंग का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी है लेकिन अब सवाल ये है कि क्या WHO ये जिम्मेदारी निभा रहा है?क्योंकि जब पूरी दुनिया इस महामारी के फैलने को लेकर चीन की भूमिका पर सवाल उठा रही है तब WHO ना सिर्फ चीन का बचाव कर रहा है बल्कि उसकी तारीफ करते नहीं थक रहा है. तो आखिर WHO ऐसा क्यों कर रहा है. इसकी इनसाइड स्टोरी हम आपको बताएंगे. पहले आप WHO का ये बयान सुन लीजिये.

अभी आपने चीन की तारीफ करते हुए जिन्हें सुना वो WHO के डायरेक्टर जनरल टैड्रोस ऐधेनॉम घेबरेयेसस हैं. जो शुरुआत से ही कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर चीन को क्लीन चिट देते आए हैं जिसकी वजह से इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में WHO की भूमिका पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं और WHO को लोग अब वुहान हेल्थ ऑर्गानाइजेशन तक कहने लगे हैं. इसके बावजूद टेड्रोस अभी भी चीन को बचाने में ही जुटे हैं. क्या आपने सोचा है कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं?. क्यों वो कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में चीन के प्रोपेगेंडा को प्रमोट करने में जुटे हैं.

ये जानने के लिए हमने उनके इतिहास को खंगाला है और हमें जो हैरान कर देने वाली चार महत्वपूर्ण बातें पता चली हैं वो आपको भी पता होनी चाहिए. पहली ये कि टेड्रोस को WHO का चीफ बनाने में चीन ने मदद की थी. दूसरा ये कि इथियोपिया के स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए टेड्रोस पर हैजे की महामारी को छिपाने का आरोप लगा था. इसके बावजूद WHO चीफ के तौर पर चीन ने उनके नाम का समर्थन किया. तीसरा, जब टेड्रोस, इथियोपिया के विदेश मंत्री थे, तब चीन ने वहां अरबों रुपये का निवेश किया था.

और चौथी महत्वपूर्ण बात, टेड्रोस ने WHO का चीफ बनने के बाद चीन के करीबी और जिम्बाब्वे के पूर्व तानाशाह रॉबर्ट मुगाबे को WHO का गुडविल एंबेस्डर बनाने की कोशिश की थी. ये वो चार बातें हैं जो हमें टेड्रोस और चीन के कनेक्शन के बारे में पता चलीं जिनसे कोरोना वायरस से निपटने में बतौर WHO चीफ, टेड्रोस की भूमिका पर शक होता है. अब हम इन चारों पॉइंट्स के बारे में आपको विस्तार से बताएंगे. सबसे पहले उनके WHO चीफ बनने में चीन की भूमिका वाली कहानी आपको बताते हैं.
जुलाई 2017 में WHO चीफ का पद संभालने वाले टेड्रोस इथियोपिया के नागरिक हैं. WHO चीफ के तौर पर उनका चुनाव दो वजह से अभूतपूर्व है. पहली वजह ये कि वो WHO के डायरेक्टर जनरल पद पर बैठने वाले पहले अफ्रीकी नागरिक हैं. और दूसरी वजह ये है कि वो इस पद को संभालने वाले पहले ऐसे शख्स हैं जिनके पास मेडिसन की डिग्री नहीं है. उन्होंने कम्युनिटी हेल्थ में पीएचडी की है..

तो फिर वो WHO के डायरेक्टर जनरल कैसे बन गए आखिर वो कौन था जिसने WHO चीफ बनने में टेड्रोस की मदद की? इसका जवाब है चीन. वो चीन ही था जिसने टेड्रोस के कैंपेन को सपोर्ट किया. चीन ने उनके पक्ष में ना सिर्फ अपना महत्वपूर्ण वोट दिया बल्कि दूसरे देशों के वोट हासिल करने में भी उनकी मदद की. लेकिन बात यही खत्म नहीं हो जाती. ये तो उनके चीन से रिश्तों का सिर्फ एक हिस्सा है. दूसरा हिस्सा वहां से जुड़ता है जब टेड्रोस इथियोपिया के स्वास्थ्य मंत्री थे. उनके ऊपर इथियोपिया में हैजे के संदिग्ध मरीजों के आंकड़े छिपाने का आरोप लगा था. ऐसे गंभीर आरोपों के बाद भी वो WHO चीफ चुन लिये गये. जाहिर है ऐसा चीन के चाहने पर ही संभव हो पाया. इस कहानी के तीसरे हिस्से में एंट्री होती है.

चीन की फर्स्ट लेडी यानी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पत्नी पेंग लियुआन की जो कई वर्षों तक WHO की गुडविल एंबेस्डर रह चुकी हैं. हालांकि इस बात से टेड्रोस और चीन की मिलीभगत साबित नहीं होती. बस अंदाजा लगाया जा सकता है. लेकिन एक और बात है जो दिमाग में खटकती है और वो ये है कि टेड्रोस इथियोपिया के विदेश मंत्री भी रह चुके हैं.

और वर्ष 2006 से 2015 के बीच करीब एक दशक में चीन ने इथियोपिया में 1300 करोड़ डॉलर यानी करीब 98 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया या लोन दिया. इसी दौरान टेड्रोस वर्ष 2012 से 2016 तक विदेश मंत्री रहे. जाहिर है एक संदेह करने वाली बात है..लेकिन बात यहां पर भी खत्म नहीं हो जाती.

टेड्रोस ने WHO चीफ का पद संभालते ही एक विवादित फैसला लिया. जब उन्होंने WHO का GOODWILL AMBASSADOR बनाए जाने के लिए जिम्बाब्वे के पूर्व तानाशाह रॉबर्ट मुगाबे के नाम का प्रस्ताव रखा. रॉबर्ट मुगाबे को चीन का आदमी कहा जाता था. चीन ने 1970 के दशक में गुरिल्ला लड़ाके हथियार और ट्रेनिंग देकर मुगाबे की मदद की थी. जब मुगाबे को WHO का GOODWILL AMBASSADOR बनाए जाने का विरोध हुआ तो टेड्रोस को पीछे हटना पड़ गया. और अब एक बार फिर टेड्रोस की भूमिका सवालों के घेरे में हैं. कोरोना महामारी को लेकर वो जिस तरह से चीन का पक्ष ले रहे हैं. उससे दुनिया हैरान है और पूछ रही है कि क्या टेड्रोस चीन के अहसानों का बदला चुका रहे हैं?
The news by daily hunt 

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#coronavirus #technologyfriends #publiccourfuew
#stay at home

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